BIOGRAPHY OF KARNAL SANTOSH BABU IN HINDI(EDUCATION,TRAINING AND POST &MORE
हेलो दोस्तों यह मेरा अठारहवाँ पोस्ट हैं, आज मैं आपको उस वीर का कहानी को बताऊँगा जो वर्तमान के समय में चलने वाले गतिविधियों पर अपने देश की रक्षा करते हुए अपने आप को धरती माँ शौप दिया -
कर्नल संतोष बाबू का जीवनी (Biography of Colonel Santosh Babu) -
यह कहानी है भारत के उस वीर सैनिक का जिसने अपनी जान की परवाह किये बिना अपने सरहदों की रक्षा करते हुए शहीद हो गए जिनका नाम है कर्नल संतोष बाबू। संतोष बाबू का जन्म भारत के तेलांगना राज्य के हैदराबाद शहर के सूर्यपेट जिले में हुआ था। संतोष के पिता का नाम बी. उपेन्द्र जो की बैंक में कर्मचारी है और माता का नाम मंजुला हैं शहादत के बाद उनके पिता ने नम आँखों से कहाँ की मेरे बेटे को शुरू से ही देश प्रेम का एक अलग ही जज्बा था। शहीद कर्नल बाबू अपने माँ - पिता जी के अकेले लड़के थे और शहादत के समय वो मात्र 37 वर्ष के थे और वो अपने पीछे अपनी पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए।
शिक्षा (Education) -
कर्नल बाबू शुरू से ही मेधावी और प्रतिभाशाली छात्र थे उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उनके शहर हैदराबाद के सैनिक स्कूल से हुआ था और उसके बाद उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए N.D.A. की परीक्षा (कोरुकोण्डा)से पास किये और सेना में अधिकारी बन गए।
ट्रेनिंग और पोस्ट (Training and Post) -
N.D.A. पास करने के बाद उन्होंने अपना ट्रैनिंग पूरा किया और उसके बाद उनका पहला पोस्टिंग बिहार रेजिमेंट के 16 वी बटालियन में हुआ और उनका पहला पोस्टिंग जम्मू - कश्मीर में हुआ।
चीन से झड़प (Skirmish from China) -
वैसे तो चीन से विवाद हमेशा से ही रहा है लेकिन कुछ दिनों से यह विवाद झड़प का रूप लेकर ज्यादा बढ़ गया था चीनी सैनिक हमेशा की तरह पीठ पीछे वॉर करते है और इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया। बिते पिछले सोमवार वो जबरजस्ती भारतीय सिमा के अंदर आके टेंट गाड़ के बैठ गए और जब कर्नल बाबू के अगुवाई की बटालियन उनसे बात करने गई तो वे मानने से इंकार कर देते है और उनपर हमला कर देते है क्यूकी चीनी सैनिक पुरे प्लान में थे और वो अपने डंडों में कटीले और नुकीले कील लगाए हुए थे जिससे भारतीय सैनिकों को ज्यादा नुकसान व् छति हो पर चाइना ये भूल रहा हैं की ये 1962 का भारत नहीं है ये नये युग, नई सोंच और नये जज्बें वाला भारत है जो पहले तो शांति से बात करते है क्यूकी मेरा देश शांति को प्रथम और सर्वोच्च स्थान देता हैं लेकिन अगर कोई इसे कमजोर समझ के उसके संप्रुभता और अखंडता से खिलवाड़ करोगें तो ये कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और उसी का परिचय भारतीय सैनिको ने दिया। जब चीनी सैनिको ने उनपर हमला कर दिया तो भारतीय सैनिकों ने उसका मुहतोड़ जवाब दिया और जिसमें दोनों देश के सैनिकों को छति पहुँचा। भारत के करीब 20 सैनिक शहीद हो गए और चीन के लगभग 43 सैनिकों के मारे जानें की खबर हैं और इसमें हमारे वीर शहीद सैनिकों में से एक कर्नल संतोष बाबू भी है जिसने अपने दर्दों और अपनी जान की परवाह किये बिना अपने सरहदों की रक्षा किया।
चाइना से विवाद (Dispute with China) -
भारत और चीन के विवाद का मुख्य कारण चीन का हमेशा से सीनाजोरी करने वाला प्रयास से है। जब चीन अपने इलाके में सड़के और भी विकास के कार्यो को करता था तो भारत ने कुछ नहीं बोला और जब भारत ने अपने इलाके में सड़कें और मुख्य विकास कार्यो को करने लगा तो चीन को यह तीखी मिर्च की तरह लगने लगा जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है और बार - बार भारत को उकसाने वाला काम कर रहा है और यही सब उस रात को गलवान घाटी में भी हुआ था।
शहीद होने वाले सैनिक (Martyred soldiers) -
जो भारतीय वीर सपूत अपनी धरती माँ की रक्षा करते हुए अपनी कुर्बानी दी उनपर आज पूरा देश के साथ - साथ अमेरिका और देशों ने भी अपना सवेंदना जाहिर की और आज पूरा देश को गर्व है। तो आइये जानते है उन 20 भारतीय वीर शहीद सपूतों को -
1.शहीद संतोष बाबू (कर्नल) 2. शहीद मंदीप सिंह (नायब सूबेदार) 3. शहीद नुदुराम सारेन (नायब सूबेदार) 4. शहीद सतनाम सिंह (नायब सूबेदार) 5. शहीद के.पलानी (हवलदार) 6. शहीद विपुल रॉय (हवलदार) 7. शहीद सुनील कुमार (हवलदार) 8. शहीद राजेश ओरांग (हवलदार) 9. शहीद कुंदन ओझा (सिपाही) 10. शहीद चंद्र कांत प्रधान (सिपाही) 11. शहीद अंकुश (सिपाही) 12. शहीद गुरताज सिंह (सिपाही) 13. शहीद अमन कुमार (सिपाही) 14. शहीद गणेश हसौंदे (सिपाही) 15. शहीद गुरबिंदर (सिपाही) 16. शहीद जय किशोर (सिपाही) 17. शहीद गणेश राम (सिपाही) 18. शहीद दीपक कुमार (नायक) 19. शहीद चंदन कुमार (सिपाही) 20. शहीद कुंदन कुमार (सिपाही)
इनमें से कुछ वीर सपूत ने अपने पीछे अपने छोटे बच्चों छोड़ गए और कुछ ने तो अभी सेना को ज्वाइन किया था लेकिन आज पुरे देश को इन वीर सपूतो पर गर्व है।
कर्नल संतोष बाबू की शहादत (The martyrdom of Colonel Santosh Babu) -
कर्नल संतोष बाबू लगभग 18 महीनें से वो बॉर्डर पर थे और उनका ट्रांसफर उनके ही शहर हैदराबाद में होने वाला था जिससे उनके परिवार में ख़ुशी का माहौल था लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था और 16 जून की रात में मात्र 37 वर्ष की आयु में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।
कर्नल संतोष बाबू के पिता जी के द्वारा (By Colonel Santosh Babu's father) -
शहीद कर्नल संतोष बाबू के पिता जी ने कहाँ "एक समय था की मैं सेना में जाना चाहता था लेकिन मैं जा नहीं सका लेकिन मेरे बेटे ने मेरा सपना पूरा किया था और उसके शहीद होने पर मुझे गर्व हैं"।
निष्कर्ष (Conclusion) -
"शहीद" इस शब्द में एक दर्द तो होता ही है लेकिन ये शब्द एक ऊर्जा भी देता है जो उन तमाम दर्द को भुला देता है। हमारे वीर सपूत ने अपनी शहादत देकर अपने देश और भारत माँ की रक्षा किया लेकिन कुछ लोग होते है की वो अपनी आदतों से बाज नहीं आते उन्हें ये पता होता है की झड़प, हिंसा और युद्ध केवल आपको पीछे की तरफ भेजेगा लेकिन उसके बावजूद वो सुधरते नहीं है। और हमारे वीर सैनिको के शहादत पर आज पूरा देश अपने आप में गर्व महसूस करता है और उन वीर सपूतो को सलाम और वंदन करता है जो हर एक युवा के लिए प्रेणना का एक समुन्द्र हैं।
और कहते है न दोस्तों -
"War an dispute are not the solution to any problem, because peace and negotiation can resolve the problem, not by threatening the dispute"
और हाँ सुरक्षित रहे, और प्लीज दोस्तों लाइक करें, कमेंट करें और हाँ शेयर करना ना भूलें।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें