MAZDOOR KI MAJBURI (MEANING,DEFINITION,TYPES,ACT,HISTORY,,CONCLUSION AND MORE)
हेलो, दोस्तों यह मेरा नौवा पोस्ट हैं आज मैं आपको उस कहानी को बताऊँगा जिसमें बेबस मजदूर की इतिहास, उसकी वर्तमान की स्थिति जो सबको भावुक कर देता है और सबको सोचने के लिए कहता है की वो बेबस और बेसहारा क्यों है लेकिन इसके लिए आपको सबसे पहले समझना होगा की मजदूर, और मजदूरी होता क्या हैं और हाँ आप इसे पूरा पढ़ें -
मजदूर का मतलब(Meaning of Labour) -
मजदूर उसे कहते है जिनके न होने से इस दुनियाँ का विकास रुक सकता हैं और जो अपनी मेहनत से एक सुन्दर कल को जन्म देता है।
मजदूर एक्ट(Labour Act) -
मजदूर व् मजदूरों को रोजगार देने वाले जितने भी संसाधन, संस्था, कंपनी आदि है उनके बिच हमेशा समानता बनी रहे और वो एक दूसरे के हमेशा शुभ चिंतक बने रहे।
मजदूर के प्रकार(Types of Labour) -
मजदूर कई प्रकार के होते है इसमें से कुछ इस प्रकार है।
1. बाल मजदूर(Child Labour) -
बाल मजदूर में जब किसी बच्चे को उसके बाल्यकाल में ही काम कराया जाता है और उसे अपने परिवार से वंचित रखा जाता है तो उसे बाल मजदूरी कहते है और यह हमारे कानून के द्वारा गलत व दण्डनीय अपराध माना जाता है और इसलिए इसके लिए एक विशेष एक्ट बनाया गया है जिसे बाल मजदुर एक्ट के नाम से जाना जाता है।
2. बन्धुआ मजदूर(Bonded Labour) -
बन्धुआ मजदूर वह मजदूर होता है जिसमे एक मजदूर अपने ऋण को चुकाने के लिए मजदूरी करता है पर भारत में इसे समाप्त करने के लिए 1976 में एक एक्ट बनाया जिसके तहत इसे एक अपराध माना जाता हैं।
3. स्थानीय मजदूर(Local Laborers) -
इस मजदूर में वो मजदूर आते है जो केवल अपने स्थानीय (गांव, जिला, प्रदेश) में काम करता है।
4. प्रवासी मजदूर(Migrant Labour) -
प्रवासी मजदूर उस मजदूर को कहते है जो अपने से बाहर के प्रदेश में जाकर मजदूरी करते है।
मजदूरी का मतलब(Meaning of Wage) -
मजदूर के मेहनत और उसके श्रम का जो मोल मिलता है उसे मजदूरी कहते है चाहें वो नकद हो या माल में।
मजदूरी की परिभाषा(Definition of Wages)-
A.H. Hansen के अनुसार ----
"मजदूरी उत्पादन के लिए सहायता के लिए श्रम का भुगतान है।"
Alfred Marshall के अनुसार ----
"मजदूरी श्रम की सेवा के लिए भुगतान की गई कीमत है। "
मजदूरी का इतिहास(History of Wages) -
मजदूरी का इतिहास बहुत पुराना है पहली बार सन 1886 को आज से 134 साल पहले मई के महीने में अमेरिका में सबसे पहले मजदूर का आंदोलन हुआ था। उस समय उनकी मांग थी काम को घण्टे में परिवर्तित करने के लिए जिसमे लगभग 4 लाख मजदूर उस आंदोलन में सम्मिलित हुए थे और उसी के कारण तब से आजतक और आगे भी पूरी दुनियाँ में 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन वर्तमान की स्थिति मजदूरों के लिए बहुत दयनीय हैं।
मजदूरी के प्रकार(Types of Wages) -
मजदूरी कई प्रकार की होती है जिनमे से कुछ प्रमुख है -
1. नकद मजदूरी(Cash Wages) -
नकद मजदूरी उसे कहते है जो मजदूर के श्रम के मोल के बदले नकद में दिया जाता है।
2. माल की मजदूरी(Material Wages) -
इस मजदूरी में मजदूर की मेहनत के कीमत को माल(अनाज, जरुरत का सामान) आदि में दिया जाता है।
3. ठेका मजदूरी(Contract Wages) -
ठेका मजदूरी में मजदूर को उसके काम की कीमत पहले ही तय कर लिया जाता है।
लेखकों व विद्वानों द्वारा मजदूरी को दो भागो में बाँटा गया है -
1. वास्तविक मजदूरी(Real Wages) -
इस मजदूरी में हमें ये पता चलता है की मजदूर अपने किस जरुरत के लिए मजदूरी करना चाहता है और यह मजदूरी सफल मजदूरी मानी जाती है।
2. नाममात्र की मजदूरी(Nominal Wages) -
इस मजदूरी में हमें ये नहीं पता चलता की मजदूर क्या मजदूरी करना चाहता है क्युकी नाममात्र की मजदूरी वह थोड़े समय के लिए करता है और इसे एक सफल मजदूरी नहीं मानी जाती है।
वर्तमान में प्रवासी मजदूर की दशा (Currently the condition of Migrant laborers) -
"साहब मैं मजदुर हूँ इसलिए हम मजबूर है" इस शीर्षक में प्रवासी मजदूर का दशा, उनकी हालत और दर्द दिखता है। वर्तमान समय में Covid -19 महामारी के कारण जो लॉकडाउन है उसकी वजह से लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर से बाहर फँसे हुए है आज उनकी ये हालत है की वो अपना दर्द रोते हुए खुद एक बड़े पुलिस अधिकारी से बता रहे है की न उनके पास खाने को है न रहने को है सारा काम बंद हो गया है। हमारे बच्चे और परिवार भूखे है लेकिन हमें पूछने वाला कोई नहीं है और वो कहते है अब हम कहाँ जाये। घर जाना चाहते है तो ऐसा कोई न साधन है और ना ही हमारे पास पैसे है जब हमारी ज़रूरत थी तो हमें रखा गया और जब हमारी ज़रूरत नहीं है तो हमें वही मजदूर का नाम देकर छोड़ दिया गया अब हम जाये तो कहाँ जाये। नेता और राजनेता हमारे मज़बूरी पर राजनीति कर रहे है जब हम अपना मांग रखते है तो जबरन उसे दबा दिया जाता है क्युकी साहब हम मजदूर है हमें कोई शौक नहीं इस महामारी में निकलने का लेकिन हम मजबूर है।
आज बहुत मजदूर अपने घरो तक पहुँचने के लिए अपने छोटे - छोटे बच्चों के साथ पैदल ही निकल पड़े आग जैसा बरसते हुए तेज सूरज की धूप में बिना खाये सिर्फ पानी के सहारे वो अपने घरो और अपनों के पास जाने को मजबूर है उनकी चीखों को न ही सुनता है और न ही उनके दुःख को वे अपनी बातों को केवल अपने आंसुओ से बया करने को मजबूर है।
आज बहुत सारे मजदूर रास्तें में ही अपनों का साथ छोड़ रहे है सेव लाइफ फाउंडेशन(Save life foundation)के रिपोर्ट के अनुसार जब से लॉकडाउन हुआ तब से और आज तक लगभग 2000 दुर्घटनाये हुआ है जिनमें 368 लोगो ने अपनी जान गवाई है लेकिन उनमे से बहुत से लोगो की मृत शरीर को छूने वाला कोई नहीं था क्युकी वो एक मजदूर है।
आज बहुत से लोगो उनकी इस हालत पर राजनिति करते है शायद वो जान कर भी अन्ज़ान बनते होंगे की वो जिस घरो में रहते है, जो पेट भरने के लिए भोजन करते है यहाँ तक की उनके जीवन के पूरे कार्य शैली जिस चीज से पूरी होती है उनसब में उन्ही मजदूरों का मेहनत का पसीना लगा होता है जो इतना आज मजबूर है।
वे मजदूर अपनी मेहनत से कल की सूरज की चमक को रोशन करते है पर फिर भी उनके इस दर्द के परिस्थिति में उनका मदद करने वाला कोई नहीं है वो कहते है सरकार के द्वारा मदद होती है लेकिन उस मदद को हम लोगो के पास पहुंचने तक उसका वजन कम हो जाता है क्युकी "साहब हम मजदूर है इसलिए हम मजबूर है।"
निष्कर्ष (Conclusion) -
इस पूरे कहानी में हमें यही सिख मिलता है की हमें ये तो पता रहता है की उस ऊपर वाले ने हमें सिर्फ सर ढकने के लिए वो आकाश का छत दिया है लेकिन हमें अपने शरीर को ढकने के लिए जिस छत की ज़रुरत होती है वो उसी मजदूर की मेहनत के द्वारा ही बना होता है इसलिए हमें एक होकर एक नये सोच के साथ एक दूसरे की मदद करना चाहिए जिससे वो कभी अपने आप को अकेला न महसूस करें और अपने देश का नाम रोशन हो सके।
और कहते है न दोस्तों -
"There is no value for money, there is no price for enmity, but Mazdoor's hard work has so much value that maybe the whole life goes out but it never ends"
और हाँ दोस्तों घर पे रहे, सुरक्षित रहे और दोस्तों प्लीज लाइक करें, कमेंट करें और शेयर करना ना भूलें।
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