EK VEER KI KAHANI (JASWANT SINGH RAWAT BIOGRAPHY, POSTING,DEATH,TEMPLE,HONOR&MORE)
हेलो ,दोस्तों यह मेरा तीसरा पोस्ट है आज मैं आपको उस वीर की कहानी बताऊँगा जो अपने देश के लिए अपने जज़्बात को आगे नहीं आने दिया और जो हर एक भारतीय के लिए गर्व की बात है -
1941 -1962
जसवंत सिंह रावत का कहानी और जीवनी (Story and Biography of Jaswant Singh Rawat)-
ये कहानी है भारत के वीर और जाँबाज़ सैनिक "जसवंत सिंह रावत " का जिनका जन्म 19 अगस्त, 1941 उत्तराखंड के पौढ़ी - गढ़वाल जिले के बदायूं में हुआ था। जसवंत के पिता का नाम श्री गुमान सिंह रावत और माँ का नाम श्रीमती लीला देवी रावत था। जसवंत को बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत थी और वो जब केवल 17 वर्ष के हुए थे तो सेना में भर्ती होने के लिए चले गये थे लेकिन कम उम्र के कारण वो सफल नहीं हो पाये लेकिन 19 वर्ष होने पर वो 19 अगस्त, 1960 को सेना में भर्ती हो जाते हैं।
पोस्टिंग, युद्ध और मौत(Posting, War Death)-
ट्रैनिग पूरी होने के बाद उनका पहला पोस्टिंग गढ़वाल यूनिट के चौथी बटालियन में अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले नूरानांग ब्रिज के सुरक्षा के लिए तैनात किया गया। उस समय चीनी सेना की गतिविधियां तेज थी और युद्ध का संभावना बना हुआ था लेकिन भारत का यह वीर अपने देश के सेवा में लगा हुआ था फिर 1962 वो समय आ जाता है जब चीनी सेना युद्ध की शुरू कर देती है जिसके कारण भारतीय सेना नूरांग में तैनात यूनिट को वापस बुलाने का आदेश देती है पूरा बटालियन चला जाता है लेकिन राइफलमैन जसवंत सिंह रावत, लांस नायक त्रिलोक सिंह नेगी और गोपाल सिंह गुसाई वापस नहीं जाते है क्युकि उनको अपने जान से प्यारा अपने देश का सम्मान प्यारा था। उस समय चीनी सेना चारो तरफ से हमारे देश पर हावी थी लेकिन उन्हें ये नहीं पता था की नूरांग में उनका एक वीर से सामना होगा। फिर वो समय आ जाता है जब चीनी सेना नूरांग पर कब्ज़ा करने के लिए बढ़ती है वीर जसवंत अपने साथी त्रिलोक और गोपाल के साथ मिलकर रणनीति बनाते है और चीनी सेना का मुकाबला करते है चीनी सेना को ये नहीं पता था भारत के वहा कितने सैनिक है और रणनीति क्यों विफल हो जा रहा है, क्युकी जसवंत ने जो रणनीति बनायीं थी उसमे वो अलग -अलग जगह पे अपने राइफल को तैनात किया था और हर समय अपना जगह बदल के फायरिंग करते थे और जब उनके दोनों साथी शहीद हो जाते है तो उनके मदद के लिए दो स्थानीय लड़कियां आती है जिनका नाम नूरा और सेला था जसवंत उनकी मदद से उन चिनिओ के हर एक मनसा को विफल कर देते थे चीनी सैनिक पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका सारा प्रयास विफल हो रहा था क्युकी वीर जसवंत कहते थे मेरे जीने तक मेरे वतन को कोई ताकत छू नहीं सकती तो चिनिओ की क्या औकात। उस समय उनके पास कोई मदद भी नहीं पहुँच पा रहा था उनके पास ना ठण्ड से बचने के लिए कपड़े थे और न खाने के लिए खाना बचा था और ना ही पिने के लिए पानी बस बचा था अपनी देश के लिए शहीद होने का समय। उस समय जो भी मदद था वही दो लड़कियाँ के द्वारा था जो खाने और पानी को किसी भी तरह से उनके पास पहुँचाती थी लेकिन एक दिन खाना पहुंचाने के दौरान नूरा को चीनी सैनिक पकड़ लेते है अब केवल जसवंत और सेला ही बची थी लेकिन सेला भी खाना ही लाने के दौरान ग्रेनेड हमले में शहीद हो जाती है। अब केवल जसवंत बचते है और वो अकेले उन चीनी सैनिको से लड़ते रहे शरीर से खून निकल रहे थे गला पानी के बिना सूख रहा था लेकिन उस वीर का जुनून ही अलग था और 3 दिन (72 घंटे) तक अकेले लड़ते रहे और 17 नवम्बर 1962 को मात्र 21 साल के उम्र में देश के लिए शहीद हो जाते हैं। लेकिन तब तक वो 300 चीनी सैनिको को मौत की नींद सुला दिए थे जब चीनी सैनिक उनके समीप पहुँचते है तो उनके वीरता को देख के आश्चर्य में पड़ जाते है और उनके सर को काट के अपने देश ले जाते है। 20 अक्टूबर 1962 को जब संघर्ष विराम की घोषणा होता है तो चीनी सैनिक ने वीर जसवंत के सर के साथ एक काँसे की बनी उनकी मूर्ति भी सम्मान सहित वापस करते है।
Mandir (Temple)-
दोस्तों आज भी कहा जाता है की वो सरहदों की सुरक्षा करते हैं और उस जगह पे उनका मंदिर भी बनवाया गया है जहाँ दोनों देश के जवान सर झुकाते हैं -मरणोपरांत सेवा व सम्मान (Posthumous service and Honor)-
दोस्तों आज भी उनका अटेंडेन्स लगता है, उनका वर्दी प्रेस होता है उनके जूत्ते की पोलिश होती है, समय से खाना उनके कमरे में रखा जाता है, उनको छुट्टियाँ दी जाती है, उनको वेतन भी दिया जाता हैं, और उनको प्रमोशन भी दिया जाता हैं आज वो कैप्टन के पद पर देश की सेवा कर रहे है। मरणोपरांत भी उनको महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। वीर जसवंत को आज बाबा जसवंत सिंह रावत के नाम से जाना जाता है।
फिल्म (Movie )-
दोस्तों आज उनके उस बलिदान पे एक मूवी भी बनी है जिसका नाम है "72 Hours: Martyr Who Never Died ".कहते है न दोस्तों -
"You will get everything you want in life, but big luck people get the chance to be martyred for their country"
और हाँ दोस्तों अपने घर पर रहे, सुरक्षित रहे और प्लीज दोस्तों शेयर करना न भूलें।
nice
जवाब देंहटाएंबहुत ही आकर्षक है
जवाब देंहटाएंDhanyabad bhai
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