BIOGRAPHY AND STORY OF MAJOR SHAITAN SINGH IN HINDI (EDUCATION,HONOR POSTING& MORE)

हेलो, दोस्तों  मेरा उन्नीसवाँ पोस्ट हैं  आज मैं आपको उस कहानी को बताऊंगा जिसे सुन के आप अपने आप को बहुत गर्व महसूस करेंगे की मेरे देश में ऐसे वीर  जिसने दुश्मन के सीने पे चढ़ के वॉर किया -  
Biography and Story of Major Shaitan singh

मेजर शैतान सिंह भाटी का जीवनी और कहानी (Biography and Story of Major Shaitan singh Bhati) - 

यह कहानी भारत के उस वीर और बहादुर सैनिक जिसने दुश्मनों को ऐसे युद्ध कला से परिचय कराया जिससे दुश्मन आज भी खौफ में  रहते  है जिनका नाम है मेजर शैतान सिंह। मेजर सिंह का जन्म भारत के राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले में बंसार गाँव में 1 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटिश शासन का हुकूमत था। मेजर शैतान सिंह के पिता जी जिनका नाम कर्नल हेम सिंह था वो भी ब्रिटिश हुकूमत में एक सैन्य अधिकारी थे इसलिए इनका भी शुरू से ही मन देश सेवा के प्रति था। इस वीर योद्धा ने अपने छोटे से जीवन अपने युद्ध करने की कला और कौशल से बताया की जंग बड़ी सेनाओं और ताकत से नहीं जीती जाती अपने साहस और हौशलें से जीती जाती हैं। 

शिक्षा (Education) - 

मेजर सिंह शुरू मेधावी छात्र थे और उनका प्रारम्भिक शिक्षा उनके शहर जोधपुर के राजपूत हाई स्कूल से हुआ था जहाँ से उन्होंने अपना दसवीं की पढाई पूरा किया और उसके बाद उन्होंने 1947 में जसवंत कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। 

सेना में नियुक्ति और पोस्टिंग (Appointment and Posting in the Army) - 

मेजर सिंह अपना पढाई पूरा करने के बाद अगस्त 1949 सेना में भर्ती हो गये। उनके अच्छे काम और देश के प्रति समर्पण को देखते हुए 1962 में उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में मेजर के पद पर नियुक्त किया गया था। 
जब भारत और चीन के युद्ध के समय में इनको चुसूल सेक्टर का रेजांग ला में अपनी सेवा देश को दे रहे थे और इसी जगह पर इन्होने चीनी सेना को सोचने पर मजबूर कर दिया की भारतीय सेना में वीर योद्धाओं की कमी नहीं हैं।

उनके प्रमुख काम (His Major Work) - 

मेजर शैतान सिंह ने अपने छोटे से सैन्य जीवन में बहुत सारे देश के प्रति गर्व महसूस करने वाले काम किये जैसे की - नागा हिल्स ऑपरेशन, भारत और चीन का युद्ध और गोवा का भारत में विलय में अपने वीरता का परिचय दिए जो पुरे देश के सर को हमेशा ऊँचा रखता हैं

भारत और चीन युद्ध में भूमिका (Role in War between India and China) - 

1962 का वो समय था और नवम्बर का महीना और उस समय ठण्ड मौसम की शुरुआत हो जाती है और हिमालय के सरहदों पर जो जवान ड्यूटी देते है उन्हें बहुत सारी दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है और 1962 के समय भारत अपने गुलामी के घाव से अभी उभरा भी नहीं था की तभी चीन अपने पीठ पीछे वॉर का परिचय देना शुरू कर देता है। चीन धीरे -धीरे भारत में घुसपैठ करना शुरू कर देता है और उस टाइम ठण्ड के मौसम के नाते ज्यादा दिक्कत था और उस समय भारत के पास युद्ध संसाधनों की बहुत ज्यादा कमी थी और चीन के इस धोखें ने भारत को और पीछे कर दिया था लेकिन चीन को यह नहीं पता था की भारत का एक - एक भी सैनिक बिना हथियार के भी युद्ध कौशल में माहिर होते हैं और उन सैनिको में से एक मेजर शैतान सिंह भी थे जिसने चीनी सैनिको के नाक में दम कर दिया था। शैतान सिंह उस समय चुसुल सेक्टर के रेजांग ला में कुमाऊं रेजिमेंट के 13 वी बटालियन का नेतृत्व कर रहे  थे उस समय उस बटालियन में करीब 120 सैनिक थे और मेजर सिंह पता चल चूका था की चीन पीठ पीछे वॉर करने वाला है जिसके कारण उन्होंने अधिकारियों से मदद माँगी लेकिन उस समय मदद भेजना सम्भव नहीं था क्यूकी चुसूल सेक्टर की ऊंचाई बहुत ज्यादा था और वहाँ की खून जमा देने वाला ठण्ड और उसके साथ ही संसाधनों की भी कमी थी जिसके कारण यह सब संभव नहीं था और चीन के सैनिक इसी का फायदा उठा कर 18 नवंबर 1962 को हमला शुरू कर दिया जिसका जवाब भारतीय सेना ने उसी अंदाज में दिया लेकिन चीनी सैनिकों की संख्या उस समय लगभग 5000 से भी ज्यादा था जो एक झुण्ड बना कर हमला कर रहे थे लेकिन मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में ने कभी भी सैनिको के हौशलें में कमी नहीं आने दिया। 
और उन्होंने कहाँ की अगर हमारी गोला - बारुद भी ख़त्म हो जाये तो हम अपने हाथो के बल लड़ेंगे लेकिन जब तक हम जीवित रहेंगे अपने देश का एक इंच भी जमीन नहीं जाने देंगे। और इसी तरह मात्र 120 भारतीय सैनिको ने लगभग 1300 चीनी सैनिको मौत की नींद सुला दिया जिससे चीनी सैनिको में एक भय समा गया लेकिन भारत के भी 120 वीर जवानो में 109 जवान अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। 

मेजर शैतान सिंह का शहादत (The martyrdom of Major Shaitan Singh) - 

मेजर शैतान सिंह इस युद्ध में लड़ते - लड़ते भारत का यह वीर सपूत अपनी धरती माँ की रक्षा करते हुए 18 नवंबर 1962 को शहीद हो गए। 

बर्फ में ढकी लाशें (Snow covered corpses) - 

युद्ध के बाद बहुत से वीर जवानों की मृत शरीर  बर्फ की चादरों में लिपटे हुए मिला था उन वीर जवानों के शरीर को देखकर ऐसा लगता था की मानों अभी भी वो अपने देश की रक्षा कर रहे हैं। 

सम्मान (Honor) - 

मेजर शैतान सिंह ने अपने जज्बे और वीरता से देश की रक्षा किया और शहीद हो गए और उनके इस शहादत पर उनके मरणोपरांत भी 1963 में परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। 

निष्कर्ष (Conclusion) - 

"बहादुरी" और "शहादत" एक ऐसे शब्द है जो हर एक देशवासी में नया जोश और नयी ऊर्जा का संचार करता है और मेजर शैतान सिंह उन सब में एक बड़ा उदाहरण है जिसने ये बताया की युद्ध लड़ने के लिए हौशला और बहादुरी का होना बहुत जरुरी है क्यूकी अगर ये आपके पास है तो दुश्मन भी आपके सामने नतमस्तक हो जायेगा और जो हर एक युवा के लिए प्रेणना का एक सुन्दर सा परिचय हैं। 
और कहते है न दोस्तों -
"There are some people, even after their departure, this world always remembers them because they would just go away but leave some impression behind them that remains immortal for ages"

और हाँ दोस्तों सजग रहे, सुरक्षित रहे और प्लीज दोस्तों लाइक करें, कमेंट करें और शेयर करना न भूलें। 

  
  
   

  

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