EK I.P.S AISA BHI (SANGARAM JANGID BIOGRAPHY, BOOKS, MEDALS,MOVIES AND MORE )
हेलो, दोस्तों यह मेरा आठवाँ पोस्ट हैं आज मैं आपको उस कहानी को बताऊँगा जिसमे एक I.P.S अधिकारी अपने कार्यकाल में एक ऐसे ऑपरेशन को पूरा किया जो सबके लिए गर्व की बात है और वो ऑपरेशन पूरा करना इतना आसान भी नहीं था।
सांगाराम जांगिड़ का जीवनी (Biography of Sangaram Jangid) -
यह कहानी है भारतीय I.P.S अधिकारी सांगाराम जांगिड़ का जिसने अपने I.P.S बनने के सफर में बहुत मुश्किलों का सामना किया था। सांगाराम का जन्म भारत के राजस्थान राज्य बाड़मेर जिले के कवास नामक गाँव में हुआ था इनके पिता का नाम डूंगरराम जांगिड़ था जांगिड़ के एक भाई और चार बहनें भी थी। जांगिड़ बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे और मेधावी छात्र थे उनका 10 तक की पढाई उनके गाँव कवास से हुआ और आगे की पढाई के लिए उन्हें अपने जिले बाड़मेर जाना पड़ा जहाँ से उन्होंने 11, 12 और अपना ग्रेजुएशन (B.A) पूरा किया। जांगिड़ समाज जो की एक ब्राह्मण समाज में आता हैं जांगिड़ के परिवार और उनके जांगिड़ समाज का पुस्तैनी कार्य बढ़ई (Carpenter) का था जो उनके परिवार के जीवन - यापन का मुख्य स्रोत था। जांगिड़ को पढाई के साथ - साथ घर के काम भी करने पड़ते थे जैसे की - बकरियाँ चराना, खेतों में हल जोतना और सबसे बड़ा काम कुँए से पिने की पानी का व्यवस्था करना जिसके लिए उन्हें ऊंट के सहारे रोजाना अपने गाँव से 7 किलोमीटर दूर नागाणा नामक गाँव में जाना पड़ता था क्युकी उनके आस - पास के गाँव में कोई भी ऐसा कुआँ नहीं था जिस कुएँ का पानी पिने लायक हो। जांगिड़ के पिता उनके पढाई के लिए कोई कमी नहीं होने देते थे जिसके लिए वो बहुत मेहनत करते थे। ग्रेजुएशन की पढाई पूरी होने बाद उन्हें आगे की पढाई जारी रखने के लिए जयपुर जाना पड़ा जहाँ से उन्होंने अपना पोस्ट - ग्रेजुएशन (M.A) की पढाई पूरा किया और साथ - साथ पढाई आने वाले खर्चो के लिए वो जयपुर के टेलीफोन एक्सचेंज में पार्ट - टाइम नौकरी भी करते थे। दिन में वो पढाई करते और रात में कुछ घण्टे नौकरी करते थे। अपने पोस्ट - ग्रेजुएशन (M.A) में उन्होंने पूरे राजस्थान में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। जांगिड़ का शुरु से ही इच्छा I.P.S बनने का था। पढाई पूरी होने बाद आगे की तैयारी के लिए पैसे की ज़रूरत रहता और उनके परिवार की स्थिति भी ठीक नहीं थी ये सब देखते हुए उन्होंने एक सरकारी कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफेसर के पद पर कार्य करने लगे और साथ ही साथ आगे की तैयारी भी जारी रखे और यह मेहनत उनका रंग लाया और 1985 को उन्होंने I.P.S की परीक्षा पास किया और I.P.S बन गये।
वो राजस्थान के बाड़मेर जिले के जांगिड़ समाज से पहले I.P.S अधिकारी बने थे। I.P.S बनने के बाद ज्यादा तर उनका पोस्टिंग दक्षिण भारत में रहा जहाँ पर उन्होंने बहुत से पदों पर देश सेवा की वो नीलगिरि, टुटकुड़ी आदि जिलों में S.P के पद पर तथा मदुरै, चेंगल पट आदि में D.I.G के पद पर कार्य किया। जांगिड़ अपने कार्यकाल में एक ऐसा ऑपरेशन को पूरा किये थे जो इतना आसान नहीं था तो आइये जानते है वो ऑपरेशन क्या था -
ऑपरेशन बावरिया (Operation Bawriya) -
वर्ष 2005 का वो समय था जहाँ देश का बहुत सारे जगहों से डकैती की सूचना आता रहता था इसमें ज्यादातर तमिलनाडु,कर्नाटक के जिलों में था जिसमें बहुत सारे लोगों को अपना जान भी गवाना पड़ा था जिसमें देश के कुछ राजनेता भी थे जैसे की - A.I.A.D.M.K के M.L.A सुदर्सनम, कांग्रेस के तमिलनाडु प्रदेश उपाध्यक्ष टी.म नटराजन आदि। इन डकैतियों में जिस गैंग ने अंजाम दिया वे रात के समय में हाईवे के किनारे वाले जगहों को अपना शिकार बनाते थे। इस गैंग के लोग दिन में ट्रक चलाते और और रात के समय में डकैती करते थे। इस गैंग के ज्यादा तर लोग बावरिया समाज से ताल्लुक रखते थे इसलिए इस गैंग को लॉरी गैंग व् बावरिया गैंग के नाम से जाना जाता था। उस समय तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता थी जिन्होंने इस गैंग के खात्मे के लिए एक स्पेशल टीम का गठन किया और जिसका नेतृत्व सांगाराम जांगिड़ ने किया उस समय वो तमिलनाडु के I.G लॉ एंड आर्डर पद पर अपनी सेवा देश को दे रहे थे और उस ऑपरेशन को ऑपरेशन बावरिया के नाम से पूरा किया। इस ऑपरेशन को पूरा करने के लिए बहुत कठिनाइयाँ थी क्युकी उनके पास न कोई सबूत था और न ही कोई उन डकैतों का पहचान था केवल एक जूता और कुछ फिंगरप्रिंट जिनसे जांगिड़ को ये पता चला की ये डकैत दक्षिण भारत के नहीं हैं फिर उन्होंने देश के अलग - अलग राज्यों से मदद लिया और उन फिंगरप्रिंटों को और अपने टीम के सदस्यों को अलग राज्यों में भेजा क्युकी इतने बड़े देश में ये सब करना इतना आसान नहीं था और फिर उन डकैतों को पकड़ने में कामयाबी मिलता है और उन्हें राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया जाता हैं। इस ऑपरेशन को पूरा करने में बहुत समय लगता है, लेकिन ये ऑपरेशन सफलता पूर्वक पूरा हो जाता है। इस कहानी से हमें प्रेणना मिलती हैं की हमें अपने कर्तब्यो से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिये।
किताबें (BOOKS) -
जांगिड़ ने अपने जीवन में बहुत सारे किताबें लिखे हैं जैसे की - "INDIAN ECONOMY", "ANCIENT INDIA", "MODERN INDIA", "ART AND CULTURE OF INDIA" आदि।
पदक (MEDALS) -
जांगिड़ को देश के I.P.S अधिकारियों में सबसे ज्यादा पदक पाने वालों में से एक है उन्हें उनके वीरता लिए राष्ट्रपति का वीरता पदक, प्रंधानमंत्री का जीवन रक्षक पदक, समाज सेवाओं के लिए पदक आदि सम्मिलित है।
पिक्चर (MOVIES) -
उनके जीवन के इस ऑपरेशन बावरिया के ऊपर अभी तक एक मूवी भी आ चुकी है जिसका नाम है - "THEERAN" और एक मूवी का आना अभी बाकि है जिसका नाम हैं - "SURYAVANSHI".
और कहते है न दोस्तों -
"The courage is greater for those who want to do something because time and addiction do not get everyone together".
और हाँ दोस्तों घर पे रहे, सुरक्षित रहे और प्लीज दोस्तों लाइक करे, कमेंट करें,और शेयर करना ना भूलें।
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